गीता जयंती
ब्रह्मपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए यह तिथि गीता जयंती के नाम से भी प्रसिद्ध है। और इस एकादशी को “मोक्षदा एकादशी” कहते है. भगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर, विश्व के मानव मात्र को गीता के ज्ञान द्वारा जीवनाभिमुख बनाने का चिरन्तन प्रयास किया है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. जिसके बाद भगवद-गीता अस्तित्व में आई. यही वजह है कि गीता जयंती को लोग खासतौर पर मनाते हैं.
गीता महोत्सव
गीता महोत्सव एक कार्यक्रम है जो भगवद गीता उपदेश की तिथि से संबंधित है, जो हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवद गीता कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में कृष्ण द्वारा अर्जुन को बताई गई थी।
दैनिक जीवन में श्रीमद् भगवद गीता का महत्व
भगवद गीता को पढ़ना हमें जीवन के बारे में सच्चाई से परिचित कराता है और अंधविश्वास और झूठी मान्यताओं से मुक्ति पाने में हमारी मदद करता है। गीता से प्राप्त ज्ञान हमारे संदेहों को दूर करता है और हमारे आत्मविश्वास का निर्माण करता है।
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