Monday, October 16, 2023

सम्पूर्ण गीता का एक मात्र श्लोक जो अन्ध वृद्ध राजा धृतराष्ट्र ने कहा

 सम्पूर्ण गीता का एक मात्र श्लोक जो  अन्ध वृद्ध राजा धृतराष्ट्र ने कहा


महाभारत में धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के ये नेत्रहीन महाराज सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था।


गीता का उपदेश  दो घड़ी तक चला था दो घड़ी अर्थात 48 मिनट । 


 सम्पूर्ण गीता में यही एक मात्र श्लोक अन्ध वृद्ध राजा धृतराष्ट्र ने कहा है। शेष सभी श्लोक संजय के कहे हुए हैं जो धृतराष्ट्र को युद्ध के पूर्व की घटनाओं का वृत्तान्त सुना रहा था।

धृतराष्ट्र उवाच | धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः | मामकाः पाण्डवाश्र्चैव किमकुर्वत सञ्जय || १ ||

धृतराष्ट्र: उवाच - राजा धृतराष्ट्र ने कहा; धर्म-क्षेत्रे - धर्मभूमि (तीर्थस्थल) में; कुरु-क्षेत्रे -कुरुक्षेत्र नामक स्थान में; समवेता: - एकत्र ; युयुत्सवः - युद्ध करने की इच्छा से; मामकाः -मेरे पक्ष (पुत्रों); पाण्डवा: - पाण्डु के पुत्रों ने; च - तथा; एव - निश्चय ही; अकुर्वत - क्या; किया; सञ्जय - हे संजय ।


No comments:

Labels

01 10 messages 1201-1202 answer Bhagavad Gita CH-1 CH-10 CH-11 CH-12 CH-13 Ch-14 CH-15 CH-16 CH-17 CH-18 CH-2 CH-3 CH-4 CH-5 CH-6 CH-7 CH-8 Ch-9 Characters doubts Epilogue Facts Geeta Gita Gita Articles Jayanti Know Gita parenting Principal question Resources Teachings अक्षरब्रह्मयोगः अध्यायः १० अध्यायः ११ अध्यायः १२ अध्यायः १३ अध्यायः १४ अध्यायः १५ अध्यायः १६ अध्यायः १७ अध्यायः २ अध्यायः ३ अध्यायः ४ अध्यायः ५ अध्यायः ६ अध्यायः ७ अध्यायः ८ अध्यायः ९ अर्जुन के 12 नाम अष्टादशोऽध्याय: आत्मसंयमयोगः उपसंहार कर्मयोगः कर्मसंन्यासयोगः क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः गुणत्रयविभागयोगः ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः ज्ञानविज्ञानयोगः त्याग का अर्थ दैवासुरसम्पद्विभागयोगः ध्यान निष्कर्ष पात्र पुरुषोत्तमयोगः प्रथमोऽध्यायः भक्तियोगः भगवद्गीता संन्यास महाभारत युद्ध मुख्य कारण मोक्षसंन्यासयोग राजविद्याराजगुह्ययोगः विभूतियोगः विश्वरूपदर्शनयोगः श्रद्धात्रयविभागयोगः सन्यास और त्याग में अंतर संसाधन संसार के चक्र साङ्ख्ययोगः